उत्तर प्रदेश में झांसी ज़िले के सरकारी मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को आग लगने से 10 नवजातों की मौत हो गई है.
यह आग महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में रात को करीब दस बजे लगी थी. हादसे में 16 नवजात घायल भी हुए हैं.
ये हादसा ऐसे समय पर हुआ है जब देश में नवजात शिशु सप्ताह (15 से 21 नवंबर) चल रहा है.
कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सचिन महोर का कहना है, "कल रात (शुक्रवार) साढ़े 10 से पौने 11 के बीच एनआईसीयू वार्ड में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई. उस समय वहां पर 49 बच्चे भर्ती थे."
उन्होंने बताया कि मरने वाले तीन बच्चों की पहचान नहीं हो पा रही है.
महोर के मुताबिक जिस यूनिट में आग लगी वहां ज्यादातर बच्चे ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे, जिस वजह से स्पार्क भी फैल गया
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मई 2024 में दिल्ली के विवेक विहार स्थिति बेबी केयर अस्पताल में भी आग लग गई थी. तब भी शॉर्ट सर्किट को एक बड़ा कारण बताया गया था. इस हादसे में 7 बच्चों की मौत हो गई थी.
अस्पताल में आग लगने के ऐसे कई मामले हमारे सामने हैं, जहां नवजात शिशुओं को बचाया नहीं जा सका.
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर अस्पतालों में आग क्यों लगती है?
नवजात शिशुओं के लिए बने इंटेंसिव केयर यूनिट में आग लगने का इतना जोखिम क्यों है और इस तरह के हादसों से बचने के लिए क्या करना होगा?
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